
आपको क्या लगता है । सब आसान है।
आसान है सुनिश्चित करना को कहां जाए ।
कितने दिन की छुट्टियों ले सकते है दफ्तर से। सफ्ताह के बीच में ले या सफ्ताह के अंत में।
विमान की टिकट कब सस्ती मिल रही है। क्या कूपन लगाए , कैसे कुछ बजट कम हो जाये। बड़ी जदोजहद है। लेकिन इस जदोजहद का अपना अलग मज़ा है और वो मजा पता तब चलता है जब आपकी यात्रा पूरी हो जाती है। आप वो कर लेते हो जो आपने ठान रखी थी ।
ज़िन्दगी का भी यही फलसफा है। कुछ छोटे छोटे मक़सद बना के रखने चाहिए। उन मकसदों के पीछे भागते रहने में ज़िन्दगी बहुत ही हसीन रहेगी । लेकिन ध्यान रखियेगा की जो मक़सद हो वो आपकी खुशी के लिए हो। ना कि आपकी वेदना को बढ़ा दें।
चलिए घूमने चलते है मेरे साथ …
मेरे लेखिनी के साथ
मेरे छायाचित्रों के साथ
